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Nubuwwat Ke Bare Me Akide

 नुबुव्वत के बारे में अकीदे


मुसलमानों के लिए जिस तरह अल्लाह ﷻ की जात और सिफात का जानना जरूरी है कि किसी दीनी ज़रूरी बात के इन्कार करने या मुहाल के साबित करने से यह काफिर न हो जाये इसी तरह। यह जानना भी जरूरी है कि नबी के लिए क्या जाइज़ है और क्या वाजिब और क्या मुहाल है क्यूंकि वाजिब का इन्कार करना और मुहाल का इक़रार करना कुफ़्र की वजह है और बहुत मुमकिन है कि आदमी नादानी से अक़ीदा खिलाफ रखे या कुछ की बात ज़ुबान से निकाले और हलाक हो जाए।

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☝🏻अकीदा - नबी उस बशर को कहते हैं जिसे हिदायत के लिए वही भेजी हो अल्लाह तआला ने और रसूल बशर ही के साथ खास नहीं बल्कि फ़रिश्ते भी रसूल होते हैं।

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☝🏻अकीदा - अम्बिया सब बशर थे और मर्द थे। न कोई औरत कभी नबी हुई न कोई जिन्न।


☝🏻अकीदा :- नबियों का भेजना अल्लाह तआला पर वाजिब नहीं। उसने अपने करम से लोगों की हिदायत के लिए नबी भेजे।


☝🏻अकीदा - नबी होने के लिए उस पर वही होना जरूरी है यह वही चाहे फरिश्ते के जरिए हो या बिना किसी वास्ते और जरिए के हो।



📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 12

Nubuwwat Ke Baare Me Akidein

 नुबुव्वत के बारे में अकीदे

अकीदा :- सब आसमानी किताबें और सहीफ़े हक़ है और सब अल्लाह ही के कलाम है उनमें अल्लाह तआला ने जो कुछ इरशाद फरमाया उन सब पर ईमान जरूरी है। मगर यह बात अलबत्ता हुई कि अगली किताबों की हिफाज़त अल्लाह तआला ने उम्मत के सुपुर्द की थी और अगली उम्मत। उन सहीफों और किताबों की हिफाज़त न कर सकी इसलिए अल्लाह का कलाम जैसा उतरा था वैसा उनके हाथों में बाकी न रह सका बल्कि उनके शरीरों (बुरे लोगों) ने अल्लाह के कलाम में अदल बदल कर दिया जिसे तहरीफ कहते हैं। उन्होंने अपनी ख्वाहिश के मुताबिक घटा बढ़ा दिया। इसलिए जब उन किताबों की कोई बात हमारे सामने आये तो अगर यह बात हमारी किताब के मुताबिक है तो हम को तस्दीक़ करना चाहिए और अगर मुखालिफ है तो यक़ीन कर लेंगे कि उन अगली शरीर उम्मतियों की तहरिफ़ात से है।

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Akaaeid Ka Bayaan

अक़ाइद का बयान


वह आग कितने गज़ब की थी कि जिसमे काफ़िरों ने हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सल को डाला आग ऐसी थी कि कोई उसके पास जा नही सकता था इसलिये उन्हें गोफ़न में रख कर फेंका गया ! जब आग के सामने पहुँचे तो हज़रते जिब्रील अलैहिस्सलाम आये और पूछा कि अगर कोई हाज़त हो तो आप बताये ! उन्होंने फ़रमाया की है लेकिन तुमसे नही ! और इस तरह इरशाद फ़रमाया कि :

عِلْمُہٗ بِحَالِيْ کَفَانِي عَنْ سُؤَالِيْ 

तरजुमा : “उसको मेरे हाल का इल्म होना बस काफ़ी है मुझे अपनी हाज़त बयान करने से” !


उधर अल्लाह तआला ने आग को यह हुक़्म दिया कि

یٰنَارُ كُوْنِیْ بَرْدًا وَّ سَلٰمًا عَلٰۤى اِبْرٰهِیْمَۙ

तरजुमा : “ऐ आग हो जा ठंडी और सलामती इब्राहीम पर”!*_


इस बात को सुनकर दुनिया में जहां कहीं पर आगें थीं यह समझते हुए सब ठंडी हो गयी कि शायद मुझी से कहा जा रहा है ! और नमरूद की आग तो ऐसी ठंडी हुई कि उलमा फ़रमाते हैं कि अगर उसके साथ वसलामन का लफ़्ज़ न होता तो आग इतनी ठंडी हो जाती की उसकी ठंडक से हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम को तक़लीफ़ पहुँच जाती ! बताना यह था कि आग का काम जलाने का जरूर है लेकिन अगर अल्लाह चाहे तो आग ठण्डी हो सकती है!

Nubwat Ke Baare Me Akide

नुबूवत के बारे में अकीदे


अकीदा - बहुत से नबियों पर अल्लाह तआला ने सहीफ़े और आसमानी किताबें उतारीं। उन किताबों में से चार किताबें मशहूर हैं।

1). 'तौरैत- हजरते मूसा अलैहिस्सलाम पर।

2). 'ज़बूर- हजरते दाऊद अलैहिस्सलाम पर।

3). 'इन्जील- हजरते ईसा अलैहिस्सलाम पर।

4). 'कुरआन शरीफ' कि सबसे अफ़ज़ल किताब है। और यह किताब सबसे अफ़ज़ल रसूल नबियों के सरदार हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर नाज़िल हुई। तौरैत, ज़बूर, इन्जील और कुरआन शरीफ यह सब अल्लाह तआला के कलाम हैं और अल्लाह ﷻ के कलाम में किसी का किसी से अफ़ज़ल होने का हरगिज़ यह मतलब नहीं कि अल्लाह का कोई कलाम घटिया हो क्योंकि अल्लाह एक है उसका कलाम एक है। उसके कलाम में घटिया बदिया की कोई गुन्जाइश नहीं। अलबत्ता हमारे लिए कुरआन शरीफ में सवाब ज्यादा है।