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Ghabrahat Ki Dua । घबराहट की दुआ हिंदी, अरबी और इंग्लिश में

आज़ के इस खुबसूरत आर्टिकल में आप एक छोटी और बहुत ही उम्दा दुआ यानी कि Ghabrahat Ki Dua जानेंगे जो एक बहुत ही ख़ास और पॉवरफुल दुआ है। अगर आप...

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Ghabrahat Ki Dua । घबराहट की दुआ हिंदी, अरबी और इंग्लिश में

आज़ के इस खुबसूरत आर्टिकल में आप एक छोटी और बहुत ही उम्दा दुआ यानी कि Ghabrahat Ki Dua जानेंगे जो एक बहुत ही ख़ास और पॉवरफुल दुआ है।

अगर आप घबराहट और एंजाइटी के कारण मानसिक रूप से तनाव तथा परेशानी में घिर जाते हैं तो ऐसे में आपको यकीन के साथ इस दुआ को जरूर पढ़ना चाहिए।

इससे कब्ल आप यहां पर इस दुआ को ध्यान से पढ़ कर समझ लें ताकि घबराहट होने पर सही से पढ़ सकें और खुद को मानसिक तनाव और परेशानी से बचा सकें।

Ghabrahat Ki Dua

हमने यहां पर आपकी आसानी से समझने के लिए घबराहट की दुआ हिंदी के साथ साथ अरबी और इंग्लिश के भी बहुत ही साफ़ और आसान लफ्ज़ों में बताया है।

जिसे आप अपने पसंदीदा भाषा में इस दुआ को सही सही पढ़ कर समझ सकें और फिर कहीं पर भी दोबारा से देखना ना पड़े हो सके तो जेहन में याद भी रख लें।

Ghabrahat Ki Dua In Hindi

अल्लजिना आमनु व ततमईन नुकुलूबुहूम बि जिक्रिल्लाह अला बि जिक्रिल् लाही ततमईन नुल कुलूब

Ghabrahat Ki Dua In Arabic

الَّذِينَ آمَنُوا وَتَطْمَئِنُّ قُلُوبُهُم بِذِكْرِ اللَّهِ ۗ أَلَا بِذِكْرِ اللَّهِ تَطْمَئِنُّ الْقُلُوبُ

Quran 13:28

Ghabrahat Ki Dua In English

Allazina Aamnoo Wa Tatamaein Nukuluboohum Bi Zikrillah Alaa Bi Zikrillahi Tatamaein Nul Quloob.

Ghabrahat Ki Dua Ka Tarjuma

जो लोग ईमान लाए और जिनके दिल अल्लाह की याद से राहत पाते हैं बेशक अल्लाह के जिक्र से दिलों को इत्मीनान मिलता है।

घबराहट होने पर ये जरूर करें।

  • सबसे पहले ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं
  • आहिस्ता आहिस्ता सांस लेने की कोशिश करें
  • कुरान पाक पढ़ें अच्छी बातों पर गौर करें
  • घबराहट होने पर खड़े हो जाएं या टहले
  • घबराहट होने लगे तो खुद को अकेला ना रखें

इसके अलावा भी कई कारगर तरीके हैं जो आपको घबराहट से निजात दिला सकती है लेकिन ये बेसिक चीजें हैं जो आपको जरूर करना चाहिए।

अंतिम लफ्ज़

अब तक तो आप भी आसानी से घबराहट की दुआ पढ़ कर समझ गए होंगे और घबराहट होने पर इस दुआ को पढ़ कर घबराहट से निजात पा सकेंगे इंशाल्लाह।

हमने यहां पर इस दुआ को तीनों मशहूर जबान के बहुत ही साफ़ और आसान लफ्ज़ों में लिखा था जिसे आप आसानी से समझ कर अमल में ला कर सुकून पा सकें।

Kisi Musibat Zada Ko Dekhne Ki Dua । किसी मुसीबत जदा को देखने की दुआ

आज यहां पर आप एक बहुत ही ख़ास अफजल बरकत व रहमत भरी दुआ यानी कि Kisi Musibat Zada Ko Dekhne Ki Dua बहुत साफ़ और आसान लफ्ज़ों में जानेंगे।

Kisi Musibat Zada Ko Dekhne Ki Dua

इस दुआ को आप किसी भी मुसीबत जदा शख्स को देखने के बाद सही और साफ़ नियत से पढ़ेंगे इस बात को जरुर ख्याल रखिएगा।

इसके बहुत सारे अच्छे और स्ट्रॉन्ग रीज़न हैं जो आप नीचे जानेंगे इसीलिए आप यहां पर दुआ के साथ साथ पूरा पैग़ाम को ध्यान से पढ़ें।

Kisi Musibat Zada Ko Dekhne Ki Dua

हमने यहां पर किसी भी मुसीबत में पड़े शख्स को देखने पर पढ़ने की दुआ को हिंदी के साथ साथ अरबी और इंग्लिश में भी बताया है।

जिसे आप अपने मुताबिक़ सही और आसान शब्दों में इस दुआ को सही सही आसानी से पढ़ और समझ सकें ताकि फिर कहीं देखना ना पड़े।

Kisi Musibat Zada Ko Dekhne Ki Dua In Hindi

अल्हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी आफ़ानी मिम्मब्तला-क बिही व फ़ज़्ज़-ल-नी अला क-सी रिम मिम्मन ख़-ल-क़ तफ़्ज़ीला

Kisi Musibat Zada Ko Dekhne Ki Dua In Arabic

اَلْحَمْدُ لِلّٰہِ الَّذِي عَافَانِي مِمَّا ابْتَلَاكَ بِهٖ وَفَضَّلَنِي عَلٰی كَثِيرِ مِمَّنْ خَلَقَ تَفْضِيلَاً

Kisi Musibat Zada Ko Dekhne Ki Dua In English

Alhamdu Lillahillazi Aafani Mimmabtla-Ka Beehi Wa Fazzalani Ala Qasi Reem Meemman Kha-la-ka Tafzila

Kisi Musibat Zada Ko Dekhne Ki Dua Ka Tarjuma

अल्लाह अजवाजल का शुक्र है जिसने मुझे इस मुसीबत से आफियत दी जिस में तुझे मुब्तला किया और मुझे अपनी बहुत से मखलूक पर फजीलत दी

किसी मुसीबत जदा को देखने की दुआ पढ़ने की फजीलत

यह तो आप भी जानते ही होंगे कि दुआ का मतलब बुलाना पुकारना या मांगना भी होता है हमारी इस खुबसूरत मज़हब की अज़ीम शान है।

हमारे पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के अनुसार एक हदीस के मुताबिक दुआ इबादत का सार है।

हम में से कोई जब सच्चे दिल से अल्लाह से दुआ करता है तो इससे उसका विश्वास और ईमान भी मजबूत होता है।

इसी तरह जब आप किसी परेशान मुसीबत जदा को देखकर इस दुआ को पढ़ेंगे तो अल्लाह उसके साथ साथ आप पर भी रहम फरमाएगा।

हमारे मज़हब में दुआ और नमाज़ बहुत ही पॉवरफुल और इफेक्टिव होता है यह किसी भी जगह या समय पर अल्लाह के साथ होने का एहसास कराता है।

हम सभी लोग दिन और रात अपने अल्लाह को पुकारते हैं और इसका जिक्र कुरान ए पाक में भी है कि हर चीज़ के लिए अल्लाह को पुकारो।

क्योंकि हमारी अनिश्चितताओं, उम्मीदों, सपनों और हर तरीके का ख्वाहिश और डर का समाधान सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के पास है।

इसे न कि सिर्फ हमारी संबंध मजबूत होती है बल्कि उम्मीद और विश्वास का भी बढ़ावा होता है इससे हमें आशा मिलती है।

हम सभी को हर अच्छी अमल के साथ साथ दुआएं भी याद होनी चाहिए अगर आपको यह दुआ मुसीबत जदा को देखकर पढ़ने की दुआ याद होगी तो।

यह न केवल उनको मुसीबत से आफियत मिलेगी इसके साथ साथ आपको भी इसका फ़ायदा हासिल होगा और आप अपने को भी खुश पाएंगे।

अंतिम लफ्ज़

अब तक तो आप भी आसानी से मुसीबत जदा को देख कर पढ़ने की दुआ को सही से पढ़ और समझ कर पढ़ना सीख गए होंगे और अब आसानी से किसी को मुसीबत में देखने पर जरूर पढ़ेंगे।

हमने यहां पर दुआ के साथ साथ और भी कई सारी अच्छी बातें बताई थी जिसे आप आसानी से पढ़ और समझ सकें अगर अभी भी आपके मन में कोई सवाल या डाउट हो तो आप हमसे कॉन्टेक्ट मि के ज़रिए जरूर पूछें।

Salatul Tauba Ki Namaz Ka Tarika । सलातुल तौबा की नमाज का सही तरीका

आज यहां पर आप Salatul Tauba Ki Namaz Ka Tarika बहुत ही आसानी से जानेंगे क्योंकी हमने यहां पर सलातुल तौबा की नमाज पढ़ने का सही और आसान तरीक़ा बहुत ही स्पष्ट और आसान लफ़्ज़ों में बताया है।


इसे पढ़ने के बाद आप बहुत ही आसानी सलातुल तौबा की नमाज अदा कर पाएंगे इसके बाद फिर आपको कहीं पर भी सलातुल तौबा की नमाज अदा करने का तरीका ढूंढनी नहीं पड़ेगी इसीलिए आप यहां पे पुरा ध्यान से पढ़ें।

Salatul Tauba Ki Namaz Ka Tarika

सलातुल तौबा की नमाज एक बार में दो रकात की नियत करके अदा की जाती है हमने यहां पर दोनों रकातों को एक एक करके स्टेप बाय स्टेप बताया है।

जिसे आप आसानी से समझ जाएं और अमल में लाएं साथ ही नीचे की जानिब हमने सलातुल तौबा की नमाज की नियत भी बताई है आप उसे भी ज़रूर पढ़ें।

एक बात का ज़रूर ख्याल रखें कि आप यह गुनाह की माफी के लिए नमाज अदा कर रहे हैं इसीलिए मन में दिल में यह नियत होना चाहिए की आइंदा यह गलती नहीं होगी।

Salatul Tauba Ki Namaz Ka Tarika - पहली रकात

  1. पहले यहां सलातुल तौबा की नियत करके हांथ बांध लेंगे।
  2. फिर सना यानी सुब्हान क अल्लाहुम्मा पुरा पढ़ेंगे।
  3. फिर तअव्वुज यानी अउजुबिल्लाह मिनश शैतानीर्रजीम पढ़ें।
  4. अब तस्मियह यानी बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़ें।
  5. इसके बाद अल्हम्दु शरीफ यानी सूरह फातिहा पढ़ें।
  6. सूरह फातिहा पढ़ने के बाद आहिस्ते से आमिन कहें।
  7. इसके बाद सूरह इखलास या फिर कोई सूरह पढ़ें।
  8. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकूअ में जाएं।
  9. रूकूअ में कम से कम 3 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
  10. फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए रूकूअ से उठें।
  11. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं और तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  12. फिर अल्लाहु अकबर कह कर सर उठाएं फिर तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें।
  13. दुसरी सज्दा में भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला ज़रूर पढ़ें।
  14. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े होकर दुसरी रकात के लिए हांथ बांध लें।

Salatul Tauba Ki Namaz Ka Tarika - दुसरी रकात

  1. यहां पहले अउजुबिल्लाह और बिस्मिल्लाह पढ़ेंगे।
  2. इसके बाद के सूरह फातिहा अल्हम्दु शरीफ पढ़ेंगे।
  3. यहां भी सूरह फातिहा पढ़ने के बाद आहिस्ते से आमिन कहें।
  4. इसके बाद सूरह नास पढ़ें या फिर कोई भी सूरह पढ़ सकते हैं।
  5. फिर इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकूअ में जाएं।
  6. रूकूअ में कम से कम 3 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
  7. फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकूअ से उठेंगे
  8. फिर यहां भी उठने पर‌ रब्बना लकल हम्द‌ ज़रूर कहें।
  9. इसके बाद तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा में जाएं।
  10. सज्दे में भी कम से कम 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  11. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठेंगे।
  12. फिर फ़ौरन अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करेंगे।
  13. दुसरी सज्दा में भी ज़रूर 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  14. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठ कर बैठ जाएं।
  15. इसके बाद तशह्हुद यानी अत्तहिय्यात पढ़ा जाता है।
  16. अत्तहिय्यात पढ़ते हुए कलिमे ला पर उंगली खड़ा करें।
  17. फिर तुरंत इल्ला पर उंगली गिरा कर सीधी कर लेंगे।
  18. इसके बाद दुरूदे इब्राहिम पढ़ें फिर दुआ ए मसुरा पढ़ें।
  19. अब अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कह‌ कर सलाम फेर लें।
  20. पहले अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए दाहिने तरफ गर्दन घुमाएंगे।
  21. फिर दुसरी बार अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए बाएं तरफ गर्दन घुमाएंगे।

अब आप की 2 रकात सलातुल तौबा की नमाज मुकम्मल हो गई इसके बाद आप सलातुल तौबा की दुआ पढ़ें या फिर अपने मन मुताबिक दुआए अजकार से माफी की तलब करें, बेशक अल्लाह बहुत मेहरबान है वह आपके गुनाहों को जरूर बख्श देगा।

Bechaini Ki Dua । बेचैनी दूर करने की दुआ हिंदी, अरबी और इंग्लिश में

आज़ के इस छोटे से खुबसूरत लेख में आप एक बहुत ही सुकून से भरी दुआ यानी कि Bechaini Ki Dua जानेंगे जो बहुत ही ख़ास और इफेक्टिव दुआ है।

इस दुआ को बेचैन होने पर पढ़ने से ना कि सिर्फ आपकी बेचैनी दूर होगी बल्कि एक अलग ही तरह का रिलैक्स और तरोताजगी फील होगी।

इससे कब्ल आप एक मरतबा यहां पर इस दुआ को सही से पढ़ कर समझ लें ताकि बेचैनी और बेकरारी में आसानी से पढ़ कर सुकून पा सकें।

Bechaini Ki Dua

हमने यहां पर बेचैनी दूर करने की दुआ को हिंदी लफ्ज़ के साथ साथ अरबी और इंग्लिश के भी बहुत ही साफ़ और आसान लफ्ज़ों में लिखा है।

जिसे आप अपने पसंदीदा आसान और साफ़ लफ्ज़ों में सही सही पढ़ सकें ताकि फिर कहीं पर भी दोबारा से ना देखना पड़े।

Bechaini Ki Dua In Hindi
Bechaini Ki Dua

Bechaini Ki Dua In Hindi

ला इलाह इल्ला अन्त सुब्हान-क इनी कुन्तु – मिनज् जालिमीन

Must Read: Tahajjud Ki Dua

Bechaini Ki Dua In Arabic

لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنْتُ مِنَ الظّالِمِينَ

Jami' At-Tirmidhi 3505

Bechaini Ki Dua In English

La ilaha illa anta subhanaka innee kuntu minaz-zalimeen.

Bechaini Ki Dua Ka Tarjuma

तेरे सिवा कोई भी इबादत के लायक नहीं तू पाक है बेशक मैं ही जालिमों में से था।

अंतिम लफ्ज़

अब तक तो आप भी सही सही और आसानी से इस दुआ को पढ़ और समझ कर सही से पढ़ना सीख गए होंगे और अब बेचैनी होने पर आसानी से पढ़ेंगे।

हमने यहां पर इस दुआ को बहुत ही साफ़ और खुबसूरत लफ्ज़ों में लिखा था जिसे आप आसानी से पढ़ और समझ कर अमल में ला सकें।

अगर इसे पढ़ने में या पढ़ने के बाद भी कोई सवाल या फिर किसी तरह का कोई डाउट भी हो तो आप हमसे कॉन्टेक्ट मि पेज के ज़रिए जरूर पूछें।

Taraweeh Ki Namaz Ka Tarika - Ramadan 2025

आज यहां पर आप Taraweeh Ki Namaz Ka Tarika बहुत ही आसानी से जानेंगे क्योंकी हमने यहां पर तरावीह की नमाज़ पढ़ने का सही तरीक़ा, नियत, रकात सभी चीजें बहुत ही स्पष्ट और आसान लफ़्ज़ों में बताया है

इसे पढ़ने के बाद आप बहुत ही आसानी तरावीह की नमाज़ अदा कर पाएंगे फिर इसके बाद आपको कहीं पर भी तरावीह की नमाज़ अदा करने का तरीका ढूंढनी नहीं पड़ेगी इसीलिए आप यहां ध्यान से पुरा पढ़ें।

Taraweeh Ki Namaz Ka Tarika

सबसे पहले हमें यह मालुम होना चाहिए कि तरावीह की नमाज़ 2 - 2 रकात करके कुल मिलाकर 20 रकात नमाज़ तरावीह में पढ़ी जाती है।

तो हम यहां पर 2 रकात का ही तरीका जानेंगे आप इसी 2 - 2 रकात के बदौलत पूरा 20 रकात तरावीह की नमाज़ पढ़ेंगे तो ध्यान से पढ़ें।

Taraweeh Ki Namaz Ka Tarika - पहली रकात

  1. सबसे पहले तरावीह की नमाज़ की नियत करें।
  2. हमने नीचे तरावीह की नमाज़ की नियत भी बताई है।
  3. इसके बाद हांथो को नीचे लाकर नियत बांध लेंगे।
  4. इसके बाद सना यानी सुब्हान क अल्लाहुम्मा पुरा पढ़ें।
  5. फिर तअव्वुज यानी अउजुबिल्लाह मिनश शैतानीर्रजीम पढ़ें।
  6. अब तस्मियह यानी बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़ेंगे।
  7. इसके बाद सूरह फातिहा यानी अलहम्दु शरीफ पुरा पढ़ें।
  8. सूरह फातिहा पुरा पढ़ने के बाद आहिस्ते से आमिन कहें।
  9. फिर यहां सूरह फिल अलम तारा कैफा या कोई सूरह पढ़ें।
  10. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकूअ में जाएं।
  11. रूकूअ में 3, 5, या 7 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
  12. फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकूअ से उठें।
  13. रूकूअ से उठते उठते भर में रब्बना लकल हम्द भी कहेंगे।
  14. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं।
  15. सज्दे में कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  16. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठ कर बैठ जाएं।
  17. फिर तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें।
  18. दुसरी सज्दा में भी तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  19. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं‌।

Taraweeh Ki Namaz Ka Tarika - दूसरी रकात

  1. सबसे पहले अउजुबिल्लाह और बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ें।
  2. इसके बाद सूरह फातिहा पढ़ें और आहिस्ते से आमिन कहें।
  3. फिर यहां सूरह कुरैश लि इला फि कुरैशीन या कोई सूरह पढ़ें।
  4. फिर इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकूअ में जाएं।
  5. रूकूअ में कम से कम 3 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
  6. फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकूअ से उठेंगे।
  7. फिर यहां भी उठने पर‌ रब्बना लकल हम्द‌ ज़रूर कहें।
  8. इसके बाद तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा में जाएं।
  9. सज्दे में भी कम से कम 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  10. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठेंगे।
  11. फिर फ़ौरन अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करेंगे।
  12. दुसरी सज्दा में भी ज़रूर 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  13. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठ कर बैठ जाएं।
  14. इसके बाद तशह्हुद यानी अत्तहिय्यात पढ़ा जाता है।
  15. अत्तहिय्यात पढ़ते हुए कलिमे ला पर उंगली उठाएंगे।
  16. फिर तुरंत इल्ला पर उंगली गिरा कर सीधी कर लेंगे।
  17. इसके बाद दुरूदे इब्राहिम पढ़ें फिर दुआ ए मसुरा पढ़ें।
  18. अब अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कह‌ कर सलाम फेर लें।
  19. पहले अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए दाहिने तरफ गर्दन घुमाएंगे।
  20. फिर दुसरी बार अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए बाएं तरफ गर्दन घुमाएंगे।

यहां पर आपकी तरावीह की नमाज़ की दुसरी रकात भी मुकम्मल हो गई आप इसी तरह 2-2 रकात करके पुरा 20 रकात तरावीह की नमाज़ मुकम्मल करें।

तरावीह की नमाज़ पढ़ने का सही तरीका

अगर आप तरावीह की नमाज़ जमात में इमाम के पीछे पढ़ रहे हैं तो आपको कुछ भी पढ़ने की जरूरत नहीं है सिर्फ रूकुअ और सज्दा में तस्बीह के अलावा।

लेकीन रूकुअ और सज्दा करने के बाद हर नमाज़ की तरह अत्तहियात, दुरूदे इब्राहिम और दुआए मासूरा तरावीह में भी पढ़ना जरूरी है।

Must Know: Iqamat Ka Tarika

इस बात का भी ध्यान रखें कि हर 4 रकात के बाद तरावीह की तस्बीह पढ़ना होता है और पूरा तरावीह खत्म होते होते तक 5 बार तरावीह की तस्बीह पढ़ी जाती है।

अगर आप अकेले में तरावीह की नमाज़ पढ़ेंगे तो यह तो पक्की है कि आप सूरह वाली तरावीह ही पढ़ेंगे क्योंकी एक तरावीह में कुरान पुरी पढ़ी जाती है।

अगर आप सूरह वाली तरावीह की नमाज़ पढ़ रहे हैं तो आप कुरान की एक तरफ से सूरह पढ़ते चलें यहां वहां से सूरह पढ़ना नहीं चाहिए, जानने के लिए यहां क्लिक करें

Taraweeh Ki Namaz Ki Niyat

नियत करने के बाद अल्लाहू अकबर कहते हुए अपने हाथों को उठा कर फिर नीचे ला कर नियत बांध लेंगे इसके बाद एक एक स्टेप फॉलो करें।

Taraweeh Ki Namaz Ki Rakat

तरावीह की नमाज़ में टोटल 20 रकात नमाज़ पढ़ी जाती है इस पूरे नमाज़ को 10 सलाम में 2 - 2 रकात की नियत से पढ़ कर मुकम्मल की जाती है।

हर 4 रकात तरावीह की नमाज़ पढ़ने के बाद बैठ कर तरावीह की तस्बीह पढ़ी जाती है इस तरह पूरे 20 रकात में 5 मरतबा पढ़ी जाती है।

अंतिम लफ्ज़

मेरे प्यारे मोमिनों आप ने अब तक तो तरावीह की नमाज़ अदा करना सिख ही गए होंगे अगर आपके मन में कोई सवाल हो तो आप हमसे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं और इस बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच शेयर करें जिसे वो भी सही से तरावीह की नमाज़ पढ़ सकें।

एक बात और अगर कहीं पर आपको गलत लगा हो या कहीं कुछ छूट गई हो तो भी आप हमें कॉमेंट करके इनफॉर्म करें ताकि हम अपनी गलतियां सुधार सकें हम सब से छोटी बड़ी गलतियां होती रहती है इस के लिए आप को हम सब का रब जरूर अज्र देगा इंशाल्लाह तआला।

 

Iqamat Ka Tarika । इक़ामत का सही तरीका जानिए

 आज यहां पर आप एक बहुत ही आसान और ज़रूरी इल्म यानी कि Iqamat Ka Tarika जानेंगे जो हम सभी मोमिनों के लिए बहुत ही जरूरी है।


यह तो आप भी शायद जानते ही होंगे कि किसी भी फर्ज नमाज़ को पढ़ने से पहले इक़ामत करना ज़रूरी होता है इसे मुअज्जिन या कोई व्यक्ति कर सकता है।

अगर आप भी इक़ामत करना चाहते हैं लेकीन सही तरीका मालूम नहीं है तो यहां ध्यान से पढ़ें हमने यहां पर इक़ामत का तरीका बहुत ही आसान लफ्ज़ों में बताया है।

Iqamat Ka Tarika

  • सबसे पहले जहां इमाम नमाज़ के लिए बैठे हों उनके पीछे थोड़ी दाई तरफ खड़े आप खड़े हो जाएं।
  • और अपना भी रूख यानी चेहरा काबा शरीफ की ओर करें और सीधे खड़े हो जाएं।
  • इसके बाद मध्य आवाज़ में अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर दो दफा बोलें।
  • फिर से 2 मरतबा और अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ही बोलें।
  • इसके बाद अश्हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह कहें और शहादत की उंगली खड़ी करें।
  • फिर से अश्हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह कहें और शहादत की उंगली खड़ी करें।
  • इसके बाद अशहदु अन्न मुहम्मदुर रसुलुल्लाह कहते हुए बोसा लगाकर चूम लें।
  • दूसरी मरतबा भी यही अशहदु अन्न मुहम्मदुर रसुलुल्लाह कहते हुए बोसा लगाकर चूम लें।
  • अब आप हय्या अलस सल्लाह कहते हुए अपनी गर्दन दाहिने तरफ घुमाएंगे।
  • फिर से दूसरी मरतबा भी हय्या अलस सल्लाह कहते हुए दाहिने जानिब गर्दन घुमाएं।
  • इसके बाद हय्या अलल फलाह कहते हुए इस बार बाई तरफ गर्दन को घुमाएंगे।
  • फिर इसे भी दूसरी मरतबा हय्या अलल फलाह पढ़ते हुए अपनी गर्दन को बाई तरफ ही घुमाएंगे।
  • अब दो मरतबा कद कामतिस्सलात कद कामतिस्सलात पढ़ना है आपको।
  • और जितने भी वहां लोग होंगे सब को यहां नमाज़ के लिए खड़े हो जाना है।
  • अब आखिर में अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ला इलाहा इल्ललाह कह कर चुप हो जाएं।
  • जब नमाज़ शुरू होने को होती है तो इक़ामत किया जाता है जबकि अज़ान नमाज़ के वक्त की तशरीह करती है।

Ghar Me Dakhil Hone Ki Dua | घर में दाखिल होने की दुआ

Ghar Me Dakhil Hone Ki Dua | घर में दाखिल होने की दुआ

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों आज की पोस्ट में Ghar me Dakhil Hone ki Dua बताने जा रहा हूँ। जिस तरह से पिछले पोस्ट में Ghar se Nikalne ki Dua के बारे में बताया था।

Ghar Me Dakhil Hone Ki Dua


एक व्यस्त दिन के बाद आप घर लौटते हैं। थकान से आपके कदम थम जाते हैं लेकिन जैसे ही आप दरवाजे का हैंडल पकड़ते हैं आपको एक शांति का एहसास होता है। घर एक ऐसी जगह जहाँ आप सुरक्षित महसूस करते हैं

एक ऐसी जगह जहाँ आप खुद हो सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी पल इसी घर में दाखिल होते समय एक ऐसी दुआ है जो आपके जीवन में खुशहाली और बरकत ला सकती है

Ghar Me Dakhil Hone Ki Dua एक ऐसी दुआ है जो सदियों से मुसलमानों द्वारा पढ़ी जाती रही है और आज भी इसकी अहमियत बरकरार है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम Ghar me Dakhil Hone Ki Dua के बारे में विस्तार से जानेंगे।

हम समझेंगे कि इस दुआ का क्या अर्थ है इसे क्यों पढ़ा जाता है और इसे पढ़ने से हमें क्या फायदे होते हैं। साथ ही हम कुछ ऐसी दिलचस्प बातें भी जानेंगे जो शायद आप पहले नहीं जानते हों।

Ghar Me Dakhil Hone Ki Dua

नाज़रीन घर में दाखिल होते वक़्त अल्लाह ताअला का ज़िक्र करना चाहिए और ज़िक्र करने का क्या फायदा होगा तो हुजुर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने इरसाद फ़रमाया:

की जब कोई शख्स घर में दाखिल होते वक़्त और खाना खाते वक़्त अल्लाह का ज़िक्र करे तो शैतान अपने साथियों से कहता है की तुम अब इस घर में ना रह सकते हो और तुम्हारे लिए यहाँ पर खाना है। (मुस्लिम शरीफ)

अब आप यह सोच रहे होंगे की जब जब घर में दाखिल होंगे तब तब यह दुआ पढ़ना होगा लेकिन यह दुआ तो पढ़ना मुश्किल होगा तो जी हाँ शुरू शुरू में मुश्किल होगा लेकिन जब यह आदत हो जायेगा तो आसान लगने लगेगा।

Ghar Me Dakhil Hone ki Dua In Hindi

अल्लाहुम्मा इन्नी अस अलुका खैरल मौलजी वा खैराल मखरजी बिस्मिल्लाही वलजना व बिस्मिल्लाहि खराजना व अलल्लाही रब्बिना तवक्कलना।

घर में दाखिल होने की दुआ का तर्जुमा

ऐ अल्लाह मैं तुझ से सवाल करता हूं अच्छे दाखिल होने और बेहतर निकलने का अल्लाह के नाम से दाखिल हुए और हमने अल्लाह पर भरोसा किया।

Ghar Me Dakhil Hone Ki Dua In Roman English

Allahumma innee as’aluka khairal maulaji wa khairal makhraji bismillahi walajnaa wa bismillahi kharajnaa wa alallahi rabbina tawakalna.

घर में दाखिल होने की दुआ का महत्व

  • इस्लाम में घर को सिर्फ रहने की जगह नहीं बल्कि एक ऐसी पवित्र जगह माना जाता है
  • जहां व्यक्ति आराम करता है परिवार के साथ समय बिताता है और ईश्वर की इबादत करता है।
  • इसलिए घर में दाखिल होते समय कुछ विशेष दुआओं को पढ़ने का रिवाज है।
  • ये दुआएं न केवल व्यक्ति को मन की शांति देती हैं बल्कि घर को बुरे नजर और शैतान से भी बचाती हैं।

घर में दाखिल होने की दुआ पढ़ने के कई फायदे हैं:

रहमत और बरकत: यह दुआ घर में रहमत और बरकत लाती है। इससे परिवार के सदस्यों के बीच प्यार और भाईचारा बढ़ता है।

सुरक्षा: यह दुआ घर को बुरी नजर और शैतान से बचाती है। यह घर को एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण माहौल प्रदान करती है।

ईमान का इज़हार: इस दुआ को पढ़कर व्यक्ति अपनी ईमानदारी का इज़हार करता है और अल्लाह पर भरोसा दिखाता है।

सुननत पर अमल: यह दुआ पढ़ना हमारे पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सुन्नत पर अमल करना है।

क्यों पढ़ें घर में दाखिल होने की दुआ?

घर को पवित्र बनाना: यह दुआ घर को पवित्र बनाती है और इसे शैतान के प्रभाव से बचाती है।

मन की शांति: यह दुआ मन को शांत करती है और तनाव को कम करती है।

अल्लाह के करीब आना: इस दुआ को पढ़कर व्यक्ति अल्लाह के करीब आता है और उसकी रहमत और बरकत प्राप्त करता है।

अच्छी आदत डालना: यह दुआ पढ़ना एक अच्छी आदत है जो व्यक्ति को जीवन भर साथ रहती है।

घर में दाखिल होने की दुआ पढ़ना एक बेहद महत्वपूर्ण अमल है। यह न केवल व्यक्ति के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए फायदेमंद है।

इस दुआ को नियमित रूप से पढ़ने से हमारा ईमान मजबूत होता है हमारा घर खुशहाल होता है और हम अल्लाह की रहमत और बरकत प्राप्त करते हैं।

आज आपने क्या सीखा

नाज़रीन मुझे उम्मीद है की आप सभी को Ghar Me Dakhil Hone Ki Dua पसंद आया होगा। जिसमे यह सीखने को मिला की इस दुआ को पढ़ने से शैतान से महफूज़ रहते है।

और इस दुआ को अच्छी तरह से सीखने के लिए इसको तिन भाषा में लिखा गया है सबसे पहला अरबी जिसमे कुरान लिखा गया है फिर हिंदी इंग्लिश।

नाज़रीन इस्लाम में हिफाज़त के हवाले से बहुत सारे दुआ बताया